
अंधियारे को मिटाना होगा,
बहुत दिनो हम रूठ चुके
अब मिलकर साथ निभाना होगा
खून से सिंचित हुई धरा थी
तब फ़सलें लहलाई थीं,
आज़ादी का पाठ शुरू से
दोनो को दोहराना होगा
बिखर गई थी मानवता
जब जंगें तीन लडी हमने,
हाथ में लेके अमन पताका
अब हिंसा को हराना होगा
एक दूजे पर साधे हैं हम
व्यर्थ ही अग्नि गोरी को,
परमाणु शक्ती को घर घर
बिजली बन दौडाना होगा
’स्वर्ग अंश’ पर खून खराबा
करके हमने क्या पाया,
मेल-मिलाप बढाकर अब तो
सरहद को झुठलाना होगा
बस और ट्रेन तो चल ही चुकी है
अब दरकार बची इतनी,
पासपोर्ट वीसा नियमों को
ताक पे रखते जाना होगा
उधर शोएब ’और अफ़रीदी तो
इधर भी हैं सहवाग सचिन,
साथ में लाकर इनको अब
दुनिया को धूल चटाना होगा
"रंजन" जिस दिन खडे हो गए
’दोनो’ हाथों को थामे,
हिन्द-पाक का जयकारा फिर
अखिल विश्व को गाना होगा
15 comments:
bahut badhiya rachana . swatantrata diwas ki shubhakamana.
Aameen....yahi dua hamari bhi hai.
सुन्दर उद्गार।
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
kya kahoon ranjan sa'ab
एक दूजे पर साधे हैं हम
व्यर्थ ही अग्नि गोरी को,
परमाणु शक्ती को घर घर
बिजली बन दौडाना होगा
’स्वर्ग अंश’ पर खून खराबा
करके हमने क्या पाया,
मेल-मिलाप बढाकर अब तो
सरहद को झुठलाना होगा
बस और ट्रेन तो चल ही चुकी है
अब दरकार बची इतनी,
पासपोर्ट वीसा नियमों को
ताक पे रखते जाना होगा
उधर शोएब ’और अफ़रीदी तो
इधर भी हैं सहवाग सचिन,
साथ में लाकर इनको अब
दुनिया को धूल चटाना होगा
aisa khyaal hai jiske liye sirf ek hi dua aati hai Ameeen suma ameen
"रंजन" जिस दिन खडे हो गए
’दोनो’ हाथों को थामे,
हिन्द-पाक का जयकारा फिर
अखिल विश्व को गाना होगा
khoob ranjan sahab ... Aameen :)
"रंजन" जिस दिन खडे हो गए
’दोनो’ हाथों को थामे,
हिन्द-पाक का जयकारा फिर
अखिल विश्व को गाना होगा
waah amit....bahut nek khayaal hai.
देर से पढ़ी आपकी यह रचना .बहुत ही जोश पूर्ण लिखी है अच्छी लगी
कोशिश लाजवाब है, बेहतरीन!
निजी पर उम्दा और बेहतरीन ख़याल..और शायद मेरे बहुत से अजीज साथियों के ख़याल..रंजन, तुम्हारी कलम से..
Bahut badhiya rachana....
Badhai..
http://dev-poetry.blogspot.com/
अति सुंदर विचार..--fills me with hopes....thnx for being so..
आपकी भावना को सलाम। आपके जज्बात के साथ कुछ lines के साथ जुड़ना चाहूँगा कि -
बाँट दिया कुछ लोगों ने भाई-भाई का प्यार,
हिस्से में सबके ही आया लाशों का अंबार,
जी भर कर सबने लाख कोशिशें कर ली,
मगर तोड़ न पाया दिल के रिश्तों का तार,
दु:स्वप्न समझकर भूले जो बीत गई है बात,
चलो चलें अपने गाँवों में डाले हाथ में हाथ।
आपकी भावना को सलाम। आपके जज्बात के साथ कुछ पंक्यिों के साथ जुड़ना चाहूँगा कि -
बाँट दिया कुछ लोगों ने भाई-भाई का प्यार,
हिस्से में सबके ही आया लाशों का अंबार,
जी भर कर सबने लाख कोशिशें कर ली,
मगर तोड़ न पाया दिल के रिश्तों का तार,
दु:स्वप्न समझकर भूले जो बीत गई है बात,
चलो चलें अपने गाँवों में डाले हाथ में हाथ।
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